Karma Quotes in Hindi: “कर्म को लेकर अनेक विचार हमारी संस्कृति में मौजूद हैं। कर्म सिद्धांत बताता है कि हम जो कुछ भी करते हैं, उसका नतीजा हमें प्राप्त होता है। यदि हम अच्छा कर्म करते हैं, तो अच्छा फल मिलता है और अगर हम बुरा कर्म करते हैं, तो उसका बुरा फल हमें भोगना पड़ता है।
कर्मा कोट्स. कर्म पर विश्वास रखने से हम जीवन की समस्याओं का समाधान पा सकते हैं और सफलता की ओर अग्रसर हो सकते हैं। हिंदी में कर्म को लेकर अनेक उपयोगी विचार हैं, जो हमें जीवन में सफलता और सुख की ओर ले जाने में मदद करते हैं।
कर्मा कोट्स. आज के समय में कर्म एक बहुत ही महत्वपूर्ण शब्द है जो हर कोई जानता है। कर्म का अर्थ होता है किसी भी काम को करने का तरीका जो हम अपनी इच्छा या मन की भावना के अनुसार करते हैं। यह न केवल हमारी सोच बल्कि हमारी क्रियाओं के जरिए भी प्रकट होता है। कर्म एक ऐसी शक्ति है जो हमारी दृष्टि, विचार और कृतियों को बदल सकती है। इसलिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण शब्द है जो हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है।
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Karma Quotes in Hindi
“कर्म ही है जिसने यह संसार बनाया” – भगवद गीता

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” – भगवद गीता
“जैसा कर्म, वैसा फल” – चाणक्य
“कर्म कर, फल की चिंता न कर” – भगवद गीता
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” – भगवद गीता
“कर्म का फल तो भुगता है इंसान, यही है धर्म का सार” – कबीर दास
“कर्म का फल सबको मिलता है।”
(Karma ka phal sabko milta hai.)
“जैसे कर्म, वैसे फल।”
(Jaise karma, vaise fal.)
“कर्म करो, फल की चिंता मत करो।”
(Karma karo, phal ki chinta mat karo.)
“यदि आप अच्छे कर्म करते हैं, तो अच्छे फल मिलेंगे।”
(Yadi aap ache karma karte hai, toh ache fal milenge.)
“कर्म करते रहो। फल की चिंता मत करो।”
(Karma karte raho. Phal ki chinta mat karo.)
“कर्म की गंगा बहाते चलो, मंजिल से पहले न थक जाओगे” – जगदीश चंद्र बोस

“कर्म और प्रयास से ही सफलता मिलती है” – स्वामी विवेकानंद
“कर्म ही पूजा है, कर्म ही सेवा है” – महात्मा गांधी
“कर्म ही धर्म है, करने से ही प्राप्त होता है मोक्ष” – जैन धर्म
“कर्म का परिणाम स्वाभाविक है, यह न तो भगवान, न इंसान से मिलता है” – रामकृष्ण परमहंस
“कर्म ही जीवन का आधार है, उसके बिना जीवन अधूरा है” – श्री श्री रवि शंकर
“कर्म करने से ही इंसान का चरित्र निर्माण होता है” – सुषमा स्वराज
“Karma hi hai jisne yeh sansaar banaya” – Bhagavad Gita
“Karmanye Vadhikaraste, Ma Phaleshu Kadachana” – Bhagavad Gita
“Jaisa karma, vaisa phal” – Chanakya
“Karma ka fal toh bhugta hai insaan, yehi hai dharma ka saar” – Kabir Das
“Karm kar, phal ki chinta na kar” – Lord Krishna
“Karma ki ganga bahate chalo, manzil se pahle na thak jaoge” – Jagdish Chandra Bose
“Karma aur prayas se hi safalta milti hai” – Swami Vivekananda

“Karam hi puja hai, karam hi seva hai” – Mahatma Gandhi
“Karma hi dharma hai, karne se hi prapt hota hai moksha” – Jainism
“Karma ka parinam swabhavik hai, yeh na toh bhagwan, na insaan se milta hai” – Ramakrishna Paramahamsa
“Karma hi jivan ka adhaar hai, uske bina jivan adhura hai” – Sri Sri Ravi Shankar
“Karm karne se hi insaan ka charitra nirmaan hota hai” – Sushma Swaraj
“Karma ka fal insaan khud hi bhugta hai, isliye sahi karma karo” – Baba Ramdev
“Karma kiya karo, phal ki chinta mat karo” – Swami Chinmayananda
“Karma jaisa karega, waisa hi bharega” – Hindi Proverb
“Karma ke samne sabhi shaktiya kamzor hai” – Munshi Premchand
“Karma ka sahi parinaam insaan ko khud hi bhugatna padta hai” – Sushant Singh Rajput
“Karm se hi naseeb banta hai” – Hindi Proverb
“Karma jaisa karega, waisa hi usko milega” – Anupam Kher
“Karma ke baad bhagya aata hai” – Hindi Proverb
“Karma ke saath dhoka mat karo, kyunki phir se milega” – Abhishek Bachchan
“Karma insaan ka saathi hai” – Hindi Proverb
“Karma ka palda kabhi bhi bhari nahi hota” – Aamir Khan
“Karma ka sara aadhaar hai imaan” – Mahesh Bhatt
“Karma ka parinam hamesha insaan ko hi milta hai” – Salman Khan
“Karma kiya karo, fal ki chinta mat karo” – Mahendra Singh Dhoni
“Karma insaan ko uske karmo ke hisaab se nahi, uske karmo ke aadhar par deta hai” – Shashi Tharoor
“Karma ka phal bhugatna padta hai, isliye sahi karma karo” – Sonakshi Sinha
“Karma hi insaan ka dost hai” – Hindi Pro
Believe in Karma Quotes in Hindi
“कर्म पर विश्वास रखो, जीवन की समस्याओं से छुटकारा पाओ।”

(Karma par vishwas rakho, jeevan ki samasyao se chutkara pao.)
“कर्म का जब फल मिलता है, तो सब समझ में आ जाता है।”
(Karma ka jab phal milta hai, toh sab samajh mein aa jata hai.)
“जो आप खुद करोगे, वही आपके साथ होगा। इसीलिए कर्म पर विश्वास रखें।”
(Jo aap khud karoge, wahi aapke sath hoga. Isiliye karma par vishwas rakhe.)
“कर्म करने में जो भी दिक्कतें आती हैं, उनका फल बेहतर होता है।”
(Karma karne mein jo bhi dikat aati hai, unka phal behetar hota hai.)
“कर्म पर विश्वास रखने से जीवन कठिनाइयों का सामना करने की कला सीख जाते हैं।”
(Karma par vishwas rakhne se jeevan kathinaiyon ka samna karne ki kala seekh jate hai.)
मनुष्य के अच्छे कर्म क्या है?
सच्चाई और ईमानदारी:
सच्चाई और ईमानदारी एक महत्वपूर्ण गुण होते हैं जो हमें सदैव सही रास्ते पर चलने में मदद करते हैं। अपने वचनों और कार्यों के माध्यम से सच्चाई और ईमानदारी के प्रति समर्पित रहना एक अच्छा कर्म होता है।
दयालुता और करुणा:
दूसरों की मदद करना और उनके साथ सहयोग करना एक महान अच्छा कर्म होता है। दयालुता और करुणा के द्वारा हम दूसरों के दर्द को कम करते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं।
सेवा भावना:
दूसरों की सेवा करने की भावना एक बहुत ही महत्वपूर्ण अच्छा कर्म होता है। इस भावना के द्वारा हम अपने आस-पास के लोगों की मदद करते हैं और उनकी जरूरतों को पूरा करते हैं।
अच्छे कर्मों का फल कब मिलता है?
अच्छे कर्मों का फल कई तरह से मिलता है, कुछ तुरंत और कुछ धीमे गति से। अधिकतर धर्मों और दार्शनिक विचारधाराओं के अनुसार, अच्छे कर्मों के फल की प्राप्ति उस जीव के अनुभव या भविष्य के जन्म में होती है जिसने वह कर्म किए हैं।
कुछ अच्छे कर्म तुरंत ही फल देते हैं, जैसे कि किसी को दान देना या किसी को मदद करना। इसके अलावा, अच्छे कर्म जीवन के बाद भी फल देते हैं, जैसे कि जीवन के अंतिम दिनों में शांति और सुख का अनुभव।
कुछ अच्छे कर्म करने से आपके जीवन में समृद्धि, संतुष्टि और सुख का अनुभव होता है। ये अच्छे कर्म आपके साथ होने वाले व्यक्तियों को भी प्रभावित करते हैं और उन्हें भी फल देते हैं।
फल की प्राप्ति कई तरीकों से होती है लेकिन आमतौर पर यह सत्य है कि अच्छे कर्म करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में धन, संतुष्टि और शांति का अनुभव करता है।
कर्म का फल क्या होता है?
कर्म का फल वह अनुभव होता है जो हम अपने कर्मों के आधार पर प्राप्त करते हैं। कर्म एक नियम है जो यह बताता है कि हम जो कुछ भी करते हैं, उससे हमें उसके अनुसार फल मिलता है।
जैसे कि, अच्छे कर्मों का फल अच्छा होता है और बुरे कर्मों का फल बुरा होता है। अच्छे कर्म जैसे कि सदाचार, धर्मपालन, सेवा आदि से हम धन, सम्मान, संतुष्टि और सुख का अनुभव कर सकते हैं। उसी प्रकार, बुरे कर्म जैसे कि हिंसा, अन्याय, अधर्म आदि से हमें दुख, असमानता, शिक्षा आदि का अनुभव होता है।
अधिकतर धर्मों और दार्शनिक विचारधाराओं में कहा जाता है कि कर्म नहीं तो कर्ता को जीवित जीव को उसके अनुभव के रूप में फल देता है। इस तरह, कर्म का फल आपके वर्तमान जीवन में हो सकता है या फिर आपके भविष्य के जन्म में भी हो सकता है।
आदमी को कौन सा कर्म नहीं करना चाहिए *?
आदमी को ऐसे कोई कर्म नहीं करना चाहिए जो कि नैतिक दृष्टिकोण से गलत हो या दूसरों को हानि पहुंचाता हो। इनमें कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
हिंसा करना –
किसी व्यक्ति या जीव को नुकसान पहुंचाना या उसके साथ दुख पहुंचाना हिंसा कहलाता है। इसलिए, किसी भी रूप में हिंसा करना नैतिक दृष्टिकोण से गलत है।
अन्याय करना –
किसी को न्याय नहीं देना या उसके साथ न्याय नहीं करना भी नैतिक दृष्टिकोण से गलत है।
छल करना –
झूठ बोलना या किसी को धोखा देना छल कहलाता है। इस तरह के कर्म नैतिक दृष्टिकोण से गलत होते हैं और इससे दूसरों को हानि पहुंच सकती है।
असंगत कर्म करना –
ऐसे कर्म जो नैतिक दृष्टिकोण से गलत हों और समाज को असंगत लगें जैसे कि धूम्रपान, शराब पीना, जुआ खेलना, और धार्मिक या नैतिक दृष्टिकोण से गलत कार्य आदि।