Bhagavad Gita Quotes in Hindi; भगवद गीता एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है जो हमें एक सफल और खुशहाल जीवन जीने के उपाय बताता है। इस धर्मग्रंथ में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़े उपदेश दिए हैं। यह ग्रंथ हमें कर्म की महत्ता, उसके निष्कामता और सही तरीके से कर्म करने के बारे में समझाता है।
इसके अलावा इस ग्रंथ में मन की शुद्धि, आत्मा की महत्वपूर्णता, भक्ति, ध्यान और संसार की अनित्यता के बारे में भी बताया गया है। यह एक ऐसी ग्रंथ है जो हमें जीवन के हर पहलू से जुड़े समस्याओं का समाधान देता है। इसलिए भगवद गीता के अनमोल उपदेशों को समझना हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
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Bhagavad Gita Quotes in Hindi
अर्जुन, जब तुम संकट में होते हो तब मुझे याद करो और मुझसे संबद्ध हो जाओ। मैं तुम्हारे सब भयों को दूर कर दूँगा।

“Karmanye vadhikaraste, Ma Phaleshou kada chana”
दूसरों के लिए जो कुछ भी तुम करते हो, उसे ध्यान से करो। इससे तुम स्वयं का उन्नयन करोगे।
“Jo kuchh bhi tum karte ho, usmein poori tarah se apna purusharth lagao par phal ki chinta mat karo”
जो भी जीवन में होता है, अच्छा या बुरा, उसे धैर्य से सहन करो। ये सब अनित्य है।
“Man ke haare haar hai, man ke jeete jeet”
आत्मा न कभी जन्मती है और न मरती है। वह अविनाशी है और न तो उसे कभी कुछ नुकसान होता है और न ही उसे कभी कुछ लाभ होता है।
“Jab tak tum apne aap se na ladoge, tab tak tum kuchh bhi nahi kar sakte”
कर्म का फल तुम्हें नहीं मिलता, बल्कि तुम्हारे कर्मों से उनके फल उन्हें मिलते हैं।
“Sukh dukh dono saman hai, samay ke upar hai aadharit”
“Karmanyevadhikaraste ma phalesu kadachana, ma karma phala hetur bhurma te sangostvakarmani”
“Asakti hi param gyan hai, param bhakti hai yog”
“Shreyan swadharmo vigunah para-dharmat swanushthitat, swadharme nidhanam shreyah para-dharmo bhayavahah”
“Dhyaatva punah punah cha vichintya tadatmyam-avyayam”
Karma Bhagavad Gita Quotes in Hindi
“यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः। स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥” (भगवद गीता ३.२१)

“कर्मण्यकर्म यः पश्येदकर्मणि च कर्म यः। स बुद्धिमान्मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत्॥” (भगवद गीता ४.१८)
“यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धनः। तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसंगः समाचर॥” (भगवद गीता ३.९)
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥” (भगवद गीता २.४७)
“योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनंजय। सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥” (भगवद गीता २.४८)
“श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्। स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः॥” (भगवद गीता ३.३५)
गीता की 18 बातें कौन सी है?
भगवद गीता में 18 अध्याय हैं, जिनमें भगवान कृष्ण अर्जुन को ज्ञान और धर्म के बारे में बताते हैं। इन 18 अध्यायों के अंतर्गत गीता की 18 बातें (अध्याय) हैं जिनका नाम निम्नलिखित है:
- अर्जुनविषाद योग (अध्याय १)
- सांख्य योग (अध्याय २)
- कर्म योग (अध्याय ३)
- ज्ञान कर्म संन्यास योग (अध्याय ४)
- संन्यास योग (अध्याय ५)
- आत्म संयम योग (अध्याय ६)
- ज्ञान विज्ञान योग (अध्याय ७)
- अक्षरब्रह्म योग (अध्याय ८)
- राजविध्या राजगुह्य योग (अध्याय ९)
- विभूति योग (अध्याय १०)
- विश्वरूपदर्शन योग (अध्याय ११)
- भक्ति योग (अध्याय १२)
- क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग (अध्याय १३)
- गुणत्रय विभाग योग (अध्याय १४)
- पुरुषोत्तम योग (अध्याय १५)
- दैवासुर सम्पद्विभाग योग (अध्याय १६)
- श्रद्धात्रयविभाग योग (अध्याय १७)
- मोक्षसंन
गीता का उपदेश क्या है?
धर्म का अर्थ समझना: गीता में धर्म के अनेक रूपों पर चर्चा की गई है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को धर्म का सही अर्थ समझाया है और यह बताया है कि धर्म के माध्यम से हम आत्मा को उसकी स्थानीय ईश्वरीय स्वभाव से जोड़ सकते हैं।
कर्म और कर्तव्य का महत्व: गीता में कर्म और कर्तव्य का महत्व बताया गया है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह समझाया है कि हमें कर्म करने का अधिकार होता है, लेकिन हमें यह समझना भी जरूरी होता है कि हमें अपने कर्मों के लिए ज़िम्मेदारी उठानी चाहिए।
त्याग और वैराग्य: गीता में त्याग और वैराग्य का महत्व बताया गया है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह समझाया है कि हमें अपने आसक्तियों से छुटकारा पाना चाहिए और वैराग्य के माध्यम से आत्मा को मुक्ति पानी चाहिए।
अनन्त ज्ञान: गीता में अनन्त ज्ञान का महत्व बताया गया है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह समझाया है कि हमें अनन्त ज्ञान के लिए प्रयास करना चाहिए ताकि हम आत्मा के अस्तित्व और संसार के अर्थ को समझ सकें।
संयम: गीता में संयम का महत्व बताया गया है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह समझाया है कि हमें अपने इंद्रियों को नियंत्रित करना चाहिए ताकि हम अपनी बुद्धि का उपयोग सही तरीके से कर सकें।
गीता के अनुसार भाग्य क्या है?
गीता के अनुसार भाग्य वह परिणाम है जो हमारी पूर्व जन्म की कर्मों से निर्धारित होता है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह समझाया है कि हम अपने भाग्य से संतुष्ट होने चाहिए और उसे नहीं रोक सकते। हम अपनी कर्मों के माध्यम से भविष्य को निर्माण करते हैं और अपने भाग्य को अधिक सुखी और समृद्ध बनाने के लिए उन्हें उचित दिशा में उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, गीता में यह भी बताया गया है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान के प्रति श्रद्धा रखता है उसके भाग्य में सुधार होता है और वह उन्नति के पथ पर आगे बढ़ता जाता है।
गीता का सबसे महत्वपूर्ण उपदेश क्या है?
गीता के सबसे महत्वपूर्ण उपदेशों में से एक है अहिंसा। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह समझाया है कि एक सच्चा योद्धा वह होता है जो हिंसा से परे होता है। उन्होंने बताया है कि अहिंसा के माध्यम से हम सभी में समंदर की तरह का शांति ला सकते हैं और दुनिया में समानता और सौहार्द को बढ़ा सकते हैं।
इसके अलावा, गीता में जीवन के अन्य कई महत्वपूर्ण उपदेश भी हैं जैसे कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग, धर्म, संसार, समत्व, शान्ति आदि। लेकिन अहिंसा गीता का सबसे महत्वपूर्ण उपदेश माना जाता है।